Dr. Gukesh: 18 वर्ष की आयु में विश्व शतरंज चैंपियन बनने की ऐतिहासिक उपलब्धि”

Dr. Gukesh : भारत के सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन की ऐतिहासिक जीत

भारत के युवा शतरंज ग्रैंडमास्टर  Dr. Gukesh ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने महज 18 वर्ष की आयु में विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम किया, जो उन्हें अब तक का सबसे युवा चैंपियन बनाता है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए गुकेश ने चीन के मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को 14वें निर्णायक गेम में हराया। यह मुकाबला सिंगापुर में आयोजित किया गया था, जहां डिंग लिरेन की एक चूक ने गुकेश को जीत का मौका प्रदान किया।

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युवा चैंपियन की ऐतिहासिक उपलब्धि

डी. गुकेश की यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि उन्होंने 18वें विश्व शतरंज चैंपियन के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज किया। इससे पहले यह रिकॉर्ड प्रसिद्ध शतरंज खिलाड़ी गैरी कास्परोव के नाम था, जिन्होंने 1985 में 22 वर्ष की उम्र में विश्व चैंपियनशिप जीती थी। गुकेश ने यह उपलब्धि चार साल पहले ही हासिल कर ली, जिससे वह न केवल भारत बल्कि पूरे शतरंज जगत के लिए प्रेरणा बन गए।

निर्णायक गेम का रोमांच

इस चैंपियनशिप का निर्णायक गेम बेहद रोमांचक रहा। गुकेश ने ब्लैक पीस के साथ खेलते हुए शानदार खेल कौशल का प्रदर्शन किया। डिंग लिरेन ने मुकाबले में अच्छी स्थिति में होने के बावजूद दबाव में आकर एक गंभीर गलती कर दी, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया। गुकेश ने इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए 6.5-7.5 के स्कोर से जीत हासिल की।

डिंग लिरेन का संघर्ष

चीन के डिंग लिरेन ने 2023 में रूसी खिलाड़ी इयान नेपोमनियाची को हराकर विश्व चैंपियन का खिताब जीता था। लेकिन हाल के महीनों में उनकी फॉर्म गिरती नजर आई। उन्होंने क्लासिकल फॉर्मेट में जनवरी के बाद से कोई जीत दर्ज नहीं की थी। हालांकि, इस चैंपियनशिप के शुरुआती राउंड में उन्होंने अप्रत्याशित रूप से शानदार प्रदर्शन कर अपनी खोई हुई आत्मविश्वास वापस पाया।

भारतीय शतरंज का उत्थान

गुकेश की इस उपलब्धि का श्रेय भारतीय शतरंज जगत के अभूतपूर्व विकास को भी जाता है। अप्रैल में उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जीत हासिल कर इस चैंपियनशिप के लिए क्वालिफाई किया। इस टूर्नामेंट में भारत के अन्य उभरते खिलाड़ी जैसे रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा और विदित गुजराती भी शामिल थे। भारतीय टीम ने 45वें शतरंज ओलंपियाड में शानदार प्रदर्शन करते हुए ओपन और महिला दोनों वर्गों में स्वर्ण पदक जीते।

विश्व शतरंज में भारत का योगदान

पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने भारतीय शतरंज के विकास में अहम भूमिका निभाई है। उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने कई युवा खिलाड़ियों को विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में मदद की है। गुकेश की इस जीत को भी आनंद के प्रयासों का परिणाम माना जा सकता है।

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मैग्नस कार्लसन की प्रतिक्रिया

विश्व नंबर एक मैग्नस कार्लसन, जिन्होंने 2022 में विश्व चैंपियनशिप का खिताब छोड़ा था, ने गुकेश की जीत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह शतरंज जगत के लिए एक प्रेरणादायक पल है। गुकेश ने भी अपने बयान में स्वीकार किया कि विश्व चैंपियन बनना जरूरी नहीं कि वह सबसे बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा, “मैग्नस जैसे खिलाड़ी अभी भी खेल में सर्वोच्च स्तर पर हैं, और यह मेरे लिए प्रेरणा का काम करेगा।”

भविष्य की राह

डी. गुकेश की यह जीत न केवल उनके लिए बल्कि भारतीय शतरंज समुदाय के लिए भी एक मील का पत्थर है। उनकी यह उपलब्धि आने वाले समय में भारत के अन्य युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। अब यह देखना रोमांचक होगा कि वह भविष्य में अपने खेल को किस ऊंचाई तक ले जाते हैं।

इस ऐतिहासिक पल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारतीय शतरंज खिलाड़ी विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ने में सक्षम हैं। डी. गुकेश ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के दम पर इस मुकाम को हासिल किया है, और उनकी यह उपलब्धि आने वाले वर्षों तक याद रखी जाएगी।

 

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